हेलो दोस्तों, आज हम जानेंगे कि IP Address क्या है और इसमें IPv4 और IPv6 में क्या अंतर है? हम सभी अपने कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन और अन्य डिवाइसों का उपयोग करते हैं, जिनमें से हर एक को एक अदभुत नंबर दिया जाता है, जो इन्हें इंटरनेट पर भेजने वाले संदेशों को संभवतः जानने वाले होते हैं। इस नंबर को IP Address कहा जाता है। जानिए इसके बारे में अधिक और जानें कि IPv4 और IPv6 में अंतर क्या है।
IP Address Kya Hai?
IP Address से आशय किसी भी डिवाइस के अनोखे पते से है जो इंटरनेट पर है या local network पर है।
IP का पूरा नाम “Internet Protocol” है।
IP Address संख्यात्मक होता है मतलब इसमें केवल गणितीय अंक होते हैं।
सामान्य IP Address में चार संख्याएँ होती है जिसमें हर संख्या 0 से 255 तक हो सकती है।
हर संख्या को डॉट (.) के उपयोग से बांटा जाता है।
आपके समझने के लिए यह कुछ IP address हैं।
- 143.110.246.70
- 139.59.78.194
- 67.205.162.187
अब IP के बारे में विस्तार से जानते है।
IP कैसे काम करती है?
Internet downloading और uploading पर चलता है जहाँ कोई data को download करता है तो कोई data को upload करता है।
किसी भी तरह का data ट्रांसफर IP address के आधार पार होता है।
आइये IP के काम करने के तरीको को हम एक उदाहरण से समझते हैं।
उदाहरण: यदि आप किसी वेबसाइट पर जाते हैं और वहां से इमेज को डाउनलोड करते हैं तो आप उस वेबसाइट के server पर अपलोड किये गए data को download कर रहे हैं।
मान लीजिये आपके device का IP Address “1.2.3.4” है और आप जिस वेबसाइट से इमेज डाउनलोड कर रहे है उसके server का IP Address “5.6.7.8” है।
तो इस परिस्थिति में आप IP Address “5.6.7.8” से इमेज की मांग कर रहे है।
अब server यह देखेगा की यह मांग कौन कर रहा है यहाँ आपके device की IP “1.2.3.4” है। तो सर्वर आपके IP Address पर इमेज को डिलीवर कर देगा।
हम मोबाइल इंटरनेट या Wifi Router का इस्तेमाल करके Internet से जुड़ते हैं और ये ही IP को जोड़ने का कार्य करते हैं।
IP और Domain का संबंध
किसी भी वेबसाइट के सर्वर का पता IP के रूप में होता है लेकिन हम देखते है की हर वेबसाइट का एक नाम होता है जिसे domain कहा जाता है।
जैसे की google.com
इंसान संख्या से ज्यादा शब्दों को याद रखें में माहिर होते हैं। किसी भी IP Address को याद करना बहुत ही मुश्किल है।
इसीलिए DNS (Domain Name System) का उपयोग करके server IP को एक साफ़ और सरल रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
किसी भी domain के पीछे IP ही होती है जो आपको वेबसाइट या अन्य डाटा डिलीवर करती है।
IPv4 और IPv6 में अंतर
IPv4 और IPv6 में v का आशय version से है।
IPv4 का पूरा नाम है Internet Protocol version 4.
और IPv6 का पूरा नाम है Internet Protocol version 6.
आप नाम से ही अंदाजा लगा सकते हैं की IPv6 एक नया version है internet protocol का।
IPv4 में केवल 4 संख्या होती है जो की 0 से 255 तक हो सकती है। इसलिए IPv4 के केवल 430 करोड़ address बनाये जा सकते हैं।
जैसे जैसे servers और डिवाइस की संख्या बढ़ रही है उसी प्रकार IP address की कमी आने लगी है।
इसी लिए IPv6 को लाया गया जिससे की 3.4 x 1038 यानि अनोखे IP Address को बनाया जा सकता है। इस संख्या को गिनना भी मुश्किल है।
IPv6 कुछ ऐंसी दिखाई देती है – 2604:a880:400:d0::ba2:4001